Monday, January 21, 2008

देश की मिट्टी


चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी

देश की मिट्टी, मिट्टी नहीं धूल है
गुल सारे गुल हैं बचे बस शूल हैं

पास होते ही दूर चले जाओ
सीखा रहा हर एक स्कूल है

गांव से शहर, शहर से देश
जो न जा सके वो कहलाता fool है

कल कल करती थी कल गंगा जहाँ
आज वहाँ बहता हुआ cesspool है

दिशाहीन हैं सारे देश के युवा
Dish tv जिन के लिए educational tool है

कुर्सी के ईर्द-गिर्द डोलते नेता
राजनीति के तालाब में तैरते stool हैं

आज़ादी से पहले Divide and rule था
आज़ादी से आज तक कायम dynasty rule है

हर गली गूंचे में कई सारे मंदिर है
पर पर-पैसों की दक्षिणा पर पंडित करता drool है

परिस्थितिया सारी हो रही प्रतिकूल हैं
कुल मिलाकर India का scene नहीं cool है

दिल्ली
19 जनवरी 2008

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2 comments:

SHER SINGH AGRAWAL said...

Rahulji,

Desh ke baare mein kuchh positive bhi likho, chahe woh ek tamanna hi ho!

SHER SINGH AGRAWAL said...

Rahulji,

Desh ke baare mein kuchh achcha bhi likho, chahe woh ek tamman hi ban kar rah gai ho!