Saturday, February 9, 2008

पहेली 4


चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी

उसे काली बरसती घटाओं से उतारा गया
गरजते बरसते झरनों से चुराया गया

उसके लिए खाक छानी खानों की
उससे बसती है बस्ती इंसानों की

न चैन मिलता है न नींद आती है
जब जब वो मुझसे दूर चली जाती है
गोया मेरी महबूबा वो हो नहीं सकती
बेगम की दुनिया भी उसी से है चलती

नहीं है वो कोई नौकरानी या झाड़ू पौछा लगाने वाली
वो है सबसे शक्तिशाली, झटके दे दे कर भगाने वाली

और फिर कभी इतनी सीधी कि इशारों पर चलने वाली
और कभी इतनी चंचल कि हाथ तक न आने वाली

दौलत की नहीं है भूखी फिर भी रोज ही है बिकती
है बहुत बेवफ़ा, किसी के साथ नहीं है टिकती

रोशन है आप, आबाद है आप
उसके बिना बिलकुल बर्बाद है आप
रहते नहीं इसमें बिच्छू और साँप
उसका बिल भरते हैं हम और आप

कार नहीं तो बेकार है आप
बस नहीं तो बेबस है आप
और अगर ये भी नहीं तो बेबी जली हैं आप
[इस पहेली का हल अंतिम पंक्ति में छुपा हुआ है। ध्यान से देखे तो साफ़ नज़र आ जाएगा। उदाहरण के तौर पर देखे 'पहेली 1'
आप चाहे तो इसका हल comments द्वारा यहां लिख दे। या फिर मुझे email कर दे इस पते पर - upadhyaya@yahoo.com
]

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3 comments:

Anonymous said...

Nahin hai to SRK isko banane mein aapki help kar sakte hain.

Anonymous said...

bijali

Anonymous said...

Bijali