Wednesday, February 13, 2008

Irony और विडम्बना


चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी

सर में ही रहता है कहीं जाता नहीं है
फिर भी हम क्यूं इसे कहते है भेजा?

सदियों से गंगा-जमुना का काम रहा है बहना
फिर भी हम क्यूं इन्हे कहते हैं मैया?

ज्यादा, और ज्यादा, हम बटोर सके सोना
इसी धुन में हम क्यूं छोड़ देते हैं सोना?

चाची के पति को जब सब कहते हैं चाचा
मामी के पति को जब सब कहते हैं मामा
साली के जो भाई है, वो क्यूं कहलाते हैं साला?

दादा की पत्नी को जब सब कहते हैं दादी
नाना की पत्नी को जब सब कहते है नानी
पापा की पत्नी को फिर क्यूं नहीं कहते हैं पापी?

जिसे उंगली में पहनते है, उसे क्यूं कहते हैं अंगूठी?
जो हाथ में आता नहीं है, उसे क्यूं कहते हैं हाथी?

जिसे पीते नहीं हैं, उसे क्यूं कहते हैं पान?
जिसे जानते नहीं हैं, उसे क्यूं कहते हैं जान?

जब सामने ही रखी है, तो उसे क्यूं कहते हैं मैंथी?
जब वो जलती नहीं है, तो क्यूं बुझती है पहेली?

काले-सफ़ेद को क्यूं नहीं मानते हैं रंग?
जब Screw हो ढीला, तो क्यूं होते हैं तंग?

जो जीत जाता है, वो क्यूं चाहता है हार?
इस तरह के प्रश्न जीवन में मिले बार-बार

इन सवालों को
इन खयालों को
दिए गए हैं जो नाम, irony और विडम्बना
वो भी अपने आप में हैं, irony और विडम्बना

इससे बड़ी irony और क्या होंगी
कि जिस बात पर हमें आए रोना
उसे हम कहते हैं 'आए-रोनी'?

इससे बड़ी विडम्बना और क्या होगी
कि जो बाते हमें लगे dumb
उसे हम कहते हैं we-dumb-naa?

सिएटल,
13 फ़रवरी 2008

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4 comments:

रिपुदमन पचौरी said...

हा हा हा :)
बात तो सही है !
'आए-रोनी' पढ़ कर तो मैं हंस हंस के पागल हो गया :)
लिखते रहें।

रिपुदमन

Anonymous said...

We-dumb-na was nice

Anonymous said...

हां हां -- लिखते रहिये. हमे हसा हसाकर हमरी 'आए-रोनी' कीजिये अपनी we-dumb-naa से.
धन्यवाद

Sunil Sangwal said...

हा हा हा ... "साली के जो भाई है, वो क्यूं कहलाते हैं साला?" -- पता नहीं
मज़ा आया पढ़ कर, लिखते रहिये और हम पढ़ने यदा कदा टपकते रहेंगे :)
Sunil