Wednesday, July 9, 2008

कहीं एक मासूम नाज़ुक सी लड़की

कहीं एक मासूम नाज़ुक सी लड़की
बहुत खूबसूरत मगर सांवली सी

चलो चेक करूँ ई-मेल आती ही होगी
कह कह के लॉगिन करती तो होगी
कोई कॉल शायद मिस हो गया हो
सेल फोन बार बार देखती तो होगी
और फिर फोन की बजते ही घंटी
उसी फोन से डर डर जाती तो होगी

चलो पिंग करूँ जी में आता तो होगा
मगर उंगलियां कँप-कँपाती तो होंगी
माऊस हाथ से छूट जाता तो होगा
उमंगें माऊस फिर उठाती तो होंगी
मेरे नाम खास ईमोटिकॉन सोचकर
वो दांतों में उँगली दबाती तो होगी

चलो सर्च करुँ जी में आता तो होगा
कभी याहू तो कभी गुगल पर
मेरा नाम बदल बदल कर
मुझे बार बार ढूंढती तो होगी

मेरे ब्लॉग पर ख़ुद को कविता में पाकर
बदन धीमे धीमे सुलगता तो होगा
कहीं के कहीं पांव पड़ते तो होंगे
दुपट्टा ज़मीं पर लटकता तो होगा
कभी सुबह को शाम कहती तो होगी
कभी रात को दिन बताती तो होगी

सिएटल,
9 जुलाई 2008
(कमाल अमरोही से क्षमायाचना सहित)
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चेक = check
ई-मेल = email
लॉगिन = login
कॉल = call
मिस = miss
सेल फोन = cell phone
पिंग = ping
माऊस = mouse
ईमोटिकॉन = emoticon
सर्च = search
याहू = Yahoo
गुगल = Google
ब्लॉग = blog

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3 comments:

Udan Tashtari said...

तर्ज हमने पकड़ी हकीकत फिल्म की....बहुत सही.

रंजू भाटिया said...

:) :)

बाल भवन जबलपुर said...

कमाल अमरोही से क्षमायाचना क्यों कर रहें हैं भईया वो ख़ुद यही करते