Saturday, August 20, 2011

झाड़-फानूस के कमरों में



पी-आर है मगर प्यार नहीं
पोर्ट्रैट है मगर परिवार नहीं
झाड़-फानूस के कमरों में
बच्चों की किलकार नहीं

शिरडी में लाखों दे देंगे
लेकिन भाई को देंगे हज़ार नहीं
झाड़-फानूस के कमरों में
अपनों से सरोकार नहीं

अपनी सामर्थ्य का दम भरते हैं
सुनते किसी की बात नहीं
झाड़-फानूस के कमरों में
संतों का सत्कार नहीं

मरता है कोई तो मरने दो
इनका ये संग्राम नहीं
झाड़-फानूस के कमरों में
चढ़ता किसी को बुखार नहीं

20 अगस्त 2011
सिएटल

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पी-आर = PR = Public Relations
पोर्ट्रैट = Portrait
झाड़-फानूस = Chandelier

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