Thursday, November 21, 2013

हमें यू-एस से प्यार कितना

हमें यू-एस से प्यार कितना
ये हम नहीं जानते
मगर जी नहीं सकते डॉलर बिना

सुना खर्च रुपयों में चलाते हैं लोग
जाने ज़िंदगी कैसे बीताते हैं लोग
भारत में जीना तो लगे नरक के समान
इस देश में भेदभाव कितना
ये हम नहीं जानते
मगर जी नहीं सकते डॉलर बिना

चलो माँ-बाप को भी साथ ले आए कहता है दिल
उनका सर्द माहौल में नहीं लगता है दिल
धूप भी यहाँ तो लगे बरफ़ के समान
हमें माँ-बाप से प्यार कितना
ये हम नहीं जानते
मगर जी नहीं सकते डॉलर बिना

(मजरूह से क्षमायाचना सहित)
21 नवम्बर 2013
सिएटल । 513-341-6798

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1 comments:

Anonymous said...

सारी कविता अच्छी है मगर यह lines बहुत ही touching हैं:

"चलो माँ-बाप को भी साथ ले आए कहता है दिल
उनका सर्द माहौल में नहीं लगता है दिल
धूप भी यहाँ तो लगे बरफ़ के समान
हमें माँ-बाप से प्यार कितना
ये हम नहीं जानते
मगर जी नहीं सकते डॉलर बिना"

जो लोग अपने माता-पिता से दूर रहते हैं, चाहे देश से बाहर रहते हों या same देश में किसी और शहर में नौकरी करते हों, जब सोचते हैं कि उनके माता-पिता साथ रहें तो कई तरह के reasons उन्हें रोक देते हैं। कभी बात डॉलर कमाने की होती, कभी डॉलर खरचने की, तो कभी और important लोगों को खुश रखने की। मन की बात मन में ही दब जाती है...