Saturday, April 26, 2014

जीवन में अंसुवन की कमी नहीं है

जीवन में अंसुवन की कमी नहीं है
एच-वन को एच-वन से मिलती तृप्ति नहीं है
बी-वन हो, एल-वन हो या कोई भी वन हो
हरे पत्ते की बेल जब तक झुकती नहीं है
ग्रीन-कार्ड की बेल जब तक बजती नहीं है
पाकर के डॉलर भी
आँख लगती नहीं है

एच-वन सोचे कि ग्रीन-कार्ड सुखी है
ग्रीन-कार्ड सोचे कि सिटिज़न सुखी है
और सिटिज़न सोचे कि बचपन सही था
न चिंता थी, फ़िक्र थी,
न कुछ भी कहीं था
और अब?
तीस साल की बेटी है
और अब तक कुँवारी बैठी है
और बेटा जो पढ़ने गया तो
पढ़ता ही जा रहा है
बी-एस किया, एम-एस किया
और अब पी-एच-डी कर रहा है

ज़िंदगी अभी शुरू नहीं हुई
और कर्ज़ से दबी है
जीवन में अंसुवन की कमी नहीं है ...

26 अप्रैल 2014
सिएटल । 513-341-6798


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3 comments:

Anonymous said...

इस कविता में "अंसुवन" शब्द बहुत special लगा और H-1 के साथ अच्छा word play बना। Citizen बनने तक सब इस डर में रहते हैं कि यह नया देश छोड़ना न पड़ जाये, इस लिए कोई पीछे मुड़ कर नहीं देखता। जब यह डर दूर हो जाता है, citizenship मिल जाती है, फिर हम पीछे देखते हैं और चिंतन करते हैं कि जीवन कहाँ से शुरू हुआ था और हमनें क्या खोया है और क्या पाया है। कविता छोटी सी है मगर थोड़े शब्दों में बहुत कुछ कह गयी है।

Anonymous said...

ज़िंदगी अभी शुरू नहीं हुई
और कर्ज़ से दबी है

कविता रावत said...

बहुत सुन्दर ...