Monday, March 21, 2016

Happy Holi



होली पे होली जलती है
दीपावली पे दीप घर-घर
दोनों त्योहार हैं एक से
दोनों देश की धड़कन

राम गए, फिर लौट के आए
अयोध्या बन गई दुल्हन 
कृष्ण हँसे, नित रास रचे
रंग से भर गए पनघट

न कृष्ण अलग हैं
न राम अलग हैं
दोनों में एक के दर्शन 

खील खिलाओ, ठंडाई पिलाओ
दोनों प्रीत की रीत
पटाखे छोड़ो, रंग फेंको 
सब उल्लास के प्रतीक 

महीना अलग है,
तिथि अलग है
दोनों का एक ही दर्शन 

अब देश तजे, हम परदेस बसे हैं
करते गाढ़ी मेहनत
और आजू-बाज़ू दो-चार जने हैं
उनसे भी है खटपट

क्यूँ न करें हम 
सबसे दोस्ती 
करें सबका अभिनन्दन 

Happy Holi 
Happy Festival 
Happy Happiness 
Happy Every Moment 

21 मार्च 2016
सिएटल । 425-445-0827



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2 comments:

Anonymous said...

इस कविता में दीवाली और होली में बहुत अच्छी similarities बताई हैं। होली holy है और दीवाली deeply, deeply holy है। दोनों ही प्रेम और भाईचारा सिखाती हैं। मिठाई खाना-खिलाना, साथ में हँसना, रंग लगाना, lamps जलाना - इसी से बनते हैं यादगार पल! सच बात है कि दोनों festivals पर:
"क्यूँ न करें हम सबसे दोस्ती 
करें सबका अभिनन्दन"

Rahul Upadhyaya said...

From email:

सार्थक, सत्यपरक, मनमोहक रचना। ​