Sunday, November 6, 2016

कभी पास थे


कभी पास थे

आज दूर हो गए

घड़ी की सुई घुमाई

और दूर हो गए


चले, फिरे

गए कहीं भी

बैठे-बिठाए

हम दूर हो गए


आते-जाते

सब मिलते हैं

घर आते ही

सब दूर हो गए


कल ही कहा था

कि परसो थाली

जाने कैसे

कब दूर हो गए


उतारा चश्मा

बदला नज़रिया

सारे के सारे

ग़म दूर हो गए


6 नवम्बर 2016

सिएटल | 425-445-0827

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