Monday, December 26, 2016

पता हो तो घर होता है

पता हो तो घर होता है

घर हो तो पता होता है

वरना किसको 

किसका पता होता है


सबका 

अपना-अपना भाग्य है

किसी को कुछ

तो किसी को कुछ अता होता है


अब किस-किसको 

कोई कहाँ तक समझाए

कि जोड़ने ही से नहीं 

सब कुछ जमा होता है


किसी ने किसी से 

दोस्ती कर ली

सबको अच्छा लगे

ये कहाँ होता है


दोस्ती-दुश्मनी

प्रेम-ईर्ष्या

क्षणभंगुर जीवन में भी 

इनका रोल बड़ा होता है


शिकायत नहीं कोई

ज़िन्दगी से मगर

दु: होता है जब कोई

हम-उम्र फ़ना होता है


सब जन्मदिन मना रहे थे 

और तुम गुज़र गए

यह भी कोई जाने का 

तरीक़ा होता है


(George Michael - Rest in peace.)

26 दिसम्बर 2016

सिएटल | 425-445-0827

tinyurl.com/rahulpoems 



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