Monday, January 16, 2017

अर्थ का अनर्थ

ठण्ड में सब अकड़ जाते हैं
गर्मी से पिघल जाते हैं
और फिर भी ये उपदेश है
कि बनती कोशिश ठण्डे रहो

नागपुर में नाग नहीं
मूँगफली में मूँग नहीं
फिर भी ये हिदायत है
कि समझदारी से काम लो

मोहब्बत एक मोह-पाश है
जो लेती सबको बाँध है
और तानाशाह बदनाम हैं
कि करते सबको क़ैद हैं

कारगर होते कारागार
तो आज भी होता अंग्रेज़ों का राज
कारसाज़ का नहीं था इसमें हाथ
हमने किया ख़ुद अपना उद्धार 

शब्दों के मायनों की माया को
कब, कौन, कहाँ समझ पाया है
कितना ही चाहे समझ लो
अर्थ के अनर्थ से कौन बच पाया है

16 जनवरी 2017
सिएटल | 425-445-0827
tinyurl.com/rahulpoems 


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