Sunday, August 6, 2017

सब समझ जाती हो

______,


चाँद कहूँ

तो उसमें भी दाग़ है


सूरज कहूँ

तो उसमें भी आग है


ऑक्सीजन कहूँ 

तो पहाड़ों में कम हो जाती हो


परिजन कहूँ 

तो अपेक्षाएँ बढ़ जातीं हैं

उपेक्षाएँ नज़र आतीं हैं


कुछ कहूँ 

तो सब समझ जाती हो


6 अगस्त 2017

सिएटल | 425-445-0827

http://mere--words.blogspot.com/


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